Dhanbad : देशभर के विभिन्न तकनीकी संस्थानों से लगभग 65 उभरते तकनीकी विशेषज्ञ IIT (ISM) के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग में एकत्रित हुए, जहाँ उन्होंने क्रिप्टोग्राफी और नेटवर्क सुरक्षा में व्यापक ज्ञान अर्जित किया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित इस आठ दिवसीय बूट कैंप का उद्घाटन क्रिप्टोग्राफिक सिद्धांतों और हार्डवेयर प्लेटफार्मों की गहरी समझ के साथ किया गया।
12 से 19 फरवरी तक आयोजित यह बूट कैंप सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता (ISEA) परियोजना के फेज-III का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों को सुरक्षा खतरों से निपटने की दक्षता प्रदान करना और साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देना है। साइबर खतरों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, डिजिटल दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों को अपनाना आवश्यक है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. चिरंजीव कुमार ने इस पहल के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "प्रतिभागियों को क्रिप्टोग्राफी और नेटवर्क सुरक्षा का केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं मिलेगा, बल्कि अनुभवी शिक्षकों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।"
विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, प्रो. सचिन त्रिपाठी ने साइबर सुरक्षा शिक्षा को मजबूत करने के लिए पूर्व में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर 2024 से विभाग द्वारा एक पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया था, जिसमें 57 फैकल्टी सदस्यों को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया गया।
बूट कैंप के पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए, प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि प्रतिभागियों को विभिन्न सुरक्षा स्तरों से परिचित कराया जाएगा। सबसे पहले उन्हें एप्लिकेशन-लेवल सुरक्षा से अवगत कराया जाएगा, उसके बाद सिस्टम-लेवल सुरक्षा और अंत में नेटवर्क-लेवल सुरक्षा की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा, "यह कैंप प्रतिभागियों को नेटवर्क सुरक्षित करने और साइबर खतरों से बचाव के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस करेगा।"
कैंप के चार दिन क्रिप्टोग्राफी पर केंद्रित होंगे, जबकि शेष चार दिन नेटवर्क सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा। "क्रिप्टोग्राफी जानकारी को सुरक्षित रखने की एक कला है, जिसमें कोडिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जबकि नेटवर्क सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य डेटा सुरक्षा और खतरों को कम करना है," प्रो. त्रिपाठी ने समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि व्यावहारिक सत्रों में प्रतिभागी सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों में एन्क्रिप्शन और डीक्रिप्शन तकनीकों को सीखेंगे।
प्रशिक्षण देने वाले प्रमुख शिक्षकों में प्रो. धरावत रमेश, प्रो. अरूप कुमार पाल, और प्रो. हरि ओम शामिल हैं। इनके अलावा, श्री दीप नारायण दास, श्री देवेंद्र मणि त्रिपाठी, और श्री राजेश मिश्रा भी इस कार्यक्रम में सहयोग देंगे। इन विशेषज्ञों का अनुभव प्रतिभागियों को साइबर सुरक्षा उपकरणों और कार्यप्रणालियों की गहन समझ प्रदान करेगा।
IIT (ISM) की यह पहल उभरते तकनीकी विशेषज्ञों में साइबर सुरक्षा कौशल विकसित करने और भारत में एक मजबूत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।